25 August
2014
11:03
-इंदु बाला
सिंह
ओ
हो !
मां जी
भैय्या भी अंगूठा छाप हो गये
हमारी बिरादरी
में आ गये
कहा जब हंस कर
कामवाली ने
तो
मैं खून का
घूंट पी कर रह गयी
और
मन ही मन कोसी
उपस्थिति
लगाने की नई तकनीक को |
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