शुक्रवार, 15 अगस्त 2014

हवा में लहराती आवाज


14 August 2014
10:05
-इंदु बाला सिंह


निस्तब्धता में
जब
मन
के तार जब बजने लगते हैं
वह गा उठता है
अनजाने में |
हवा में लहराती उसकी आवाज
एक पल को ठिठका देती है
समय के पांव
और
प्रकृति भी हो जाती है
निस्तब्ध |
मन 
चेतना  के लौटते ही
चौंक उठता है
अपनी साथिन बुद्धि को गुमसुम बैठे देख
वह
चुप हो जाता है |

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