शुक्रवार, 1 अगस्त 2014

समेटने लगे हम


30 July 2014
18:36
-इंदु बाला सिंह


जिन्दगी बड़ी छोटी है
किसीको याद रखने के लिये
अपना स्टेशन रिजर्व कराये रहते हैं हम
आकाश के खाते में ......
एक दिन ऐसा दिव्य ज्ञान
ज्यों ही प्राप्त हुआ हमें
हम घबरा कर
अपनी चीजें समेटने लगे
अपने बचे काम पूरे करने लगे
एकाएक निकलना पड़े हमें
तो
हमारे जाने के बाद
हमारा कमरा धोने के समय
किसी को परेशानी न हो |

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