बुधवार, 6 अगस्त 2014

मन की लगन


05 August 2014
22:29
-इन्दू बाला सिंह

उन बड़ों को क्या नाम दूं
जो बडप्पन से दूर रहें
उन अपनों को क्या नाम दूं
जो पल पल छ्लें
उन भक्तों को क्या नाम दूं
जो धर्म के नाम पे ठगें
मधुशाला में चैन ढूंढनेवाले
तो हैं खुद से हारे
इस न्यारी दुनिया से
अब तो दिल भर चला
पर
मानव हूं
मानव धर्म
क्यूँ भूलूं मैं
ले चिराग हाथ में चलूं निरंतर
इस मन की ज्योति बुझा दे कोई
ऐसा किसी आंधी में दम नहीं
अपने मन की यह अद्भुत लगन
देखे अपलक 
बुद्धि हो मौन |




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