05 August
2014
22:17
-इंदु बाला
सिंह
मन ही संगी
मन ही सहारा
मन सा मित्र
न कोय
मन सा निश्छल
मन सा प्यारा
साथी न मिले जग में
मन को न ठगना
प्यारे
क्योंकि
मन की
हार तेरी हार
मन को न मरने
देना जीवन में प्यारे
बांध ले
रुमाल में
ये
मेरी लाख टके की बात |
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