11 August
2014
07:15
-इंदु बाला
सिंह
धरा पे आये
हम
माँ का प्यार
ले के
पर
क्यों
बने हम आज कृपण
क्यों बांध
रखें
दिल के कोने
में
प्यार की गठरी
आज
चलो
हम लुटायें
अपनी गठरी का
धन
कि
कर्ज चुकाना
है हमें
जन्मदाता का
अपनी औलादों
को
उनकी धरती को
स्वर्ग बनाने का |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें