26 August
2014
20:49
इंदु बाला
सिंह
यूं लगता है
दुर्भाग्य
कुत्ता है
जो पकड़ के
रखा है हमें
अपने जबड़े
में
और
झिंझोड़ता है
रुक रुक के
ओ
रे दुर्भाग्य !
तेरे कितने
क्लोन हैं ?
धरा पे
मुझे तो लगता
है
धरती की नब्बे
प्रतिशत जनता को तूने जकड़ा है अपने थोबड़े में
तो
तू नब्बे
प्रतिशत जनता के बराबर है क्या
आज विचार मग्न
है मन
और सोंच रही
हूं मैं
क्यों न मैं
तोड़ दू तेरे थोबड़े को
आ न जरा पास |