मंगलवार, 16 सितंबर 2014

मन तो पंछी है


17 September 2014
07:49

-इंदु बाला सिंह

मन तो पंछी होता है
चहचहाता है
उड़ता है
इस डाल से उस डाल
उड़ जाता है
कभी साइबेरिया में
तो
कभी थार के रेगिस्तान में
और
फिर लौट आता है
अपने घोंसले में
सो जाता है
सपने देखता है
रात में |

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