18
September 2014
23:22
-इंदु बाला
सिंह
रो पड़ी मैं
गरीब हूं तो क्या
मैं तुम्हारी सन्तान नहीं
तुमने
मुझे परदे में ढंक
मेरा अपमान किया
मुझे तो
अपनी स्थिति पर मान था
मेरा भी मन था
मेरे घर के सामने से गुजरनेवाले बड़े आदमी को देखने का
कभी तो
मैं भी पढ़ लिख कर
बड़ी बनूंगी
पर
मै न भूलूंगी अपने साथियों को |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें