शुक्रवार, 5 सितंबर 2014

संस्कृत सर जी !


05 September 2014
12:22
-इंदु बाला सिंह

ओहो !
संस्कृत सर जी !
धोती कुर्तेवाले सर जी
याद में बसे हो तुम सर जी !
क्या क्या बोलते थे तुम
पर हम तो तुम्हारा धोती कुर्ता देखते थे
एक दिन तुम खड़ा कर दिये ....
बोलो तुम ' बालक ' शब्द का ' रूप ' .....
और शुरू हुआ रूप
बालक: , बालकौ , ......
बालक: , बाल्काभ्याम ....
आगे जितना रटे थे
सब भूल गये थे हम
और
पड़ी डांट
बताऊंगा तुम्हारे पिता को
और
मेरी सांस जहाँ की तहां रुक गयी
और आज भी रुकी हुयी है
पर इस समय
मुस्कान है चेहरे पर
और
मन में मिठास है स्कूल डेज की |

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