18
September 2014
18:34
-इंदु बाला
सिंह
प्रतिभा तो
अविष्कार की
जननी
उन्मुक्त
आकाश की संगी
मुक्त करो
उसे
पिंजरबद्ध न
रह पायेगी वह
गर
तेरी
टेलीपैथी में है दम
तो
एक दिन
लौटेगी वह
जरूर
अपने वैभव से
जगमगाने
तेरा घर |
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