08
September 2014
14:46
-इंदु बाला
सिंह
प्यार
से लूटनेवाले बहुत हैं जहां में
अपनों का
प्यार हम खरीद लेते औरों से
पन्ना धाय खो
देती
अजन्मे अपने
को आज भी घरों में |
हक न छीना
जिसने
वो रहता
अभावग्रस्त
जीवन में
अमीरी !
कितने रूप
बदलती है तू |
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