14 August
2014
12:40
-इंदु बाला
सिंह
अचम्भे में
थे
पड़ गये हम
जब सुने
उस विदेशी के
मुंह से
कि
वे तो
विद्यालय के समय से ही
अपने शरीर की
भूख मिटाना सीख लिये थे
और
अब सोंच रहे
हम
एक ही तरह का
खाना खाने की आदत भी तो हो जाती है
तो ये लोग
समाज में
कैसे जीते
होंगे ......
ये कैसा समाज
गढ़ रहे हम आज ग्लोबल युग में
जहां ज्ञान की
, आत्मानुशासन की भूख कम हो रही
आज छात्र में |
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