31 August
2014
09:00
-इंदु बाला
सिंह
जबरन खींचे
जाते हैं हम
अपनी बेटियों
को
कालेज में
पढ़ाते जाते हैं हम उन्हें
बड़ा बनाने की
चाह में
और बेटियां
ट्यूशन बैग लगा घूमती हैं
बॉयफ्रेंड संग
दुबली पतली
बेटियां
पितृ-प्रेम को
तरसती बेटियां
बहाती जाती
हैं अपने पिता के श्रम के रूपये
सड़क पे
आईसक्रीम खा के
कौन कहता है
समझदार होती
हैं बेटियां
आखिर वे भी तो
गुण दोष युक्त
पुत्र सरीखी
इन्सान होती हैं
जो
बॉयफ्रेंड में
अपने उस पिता
को ढूंढती हैं
जो उसके उठने
से पहले काम पे निकल जाता है
देर रात घर
लौटता है
और
बेटियों की
नींद और गहरा जाती है
नींद में अपने
पिता की आवाज सुन |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें