सोमवार, 15 सितंबर 2014

अपना शहर


15 September 2014
21:59
-इंदु बाला सिंह

वर्षों बाद
अपने शहर के स्टेशन पर उतरते ही
उसका बचपन चहक उठा
काबुलीवाले के मिनी की तरह
वह 
अपनी जेब की
प्लास्टिक मनी टटोला
और
आगे बढ़ गया |

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