शनिवार, 26 जुलाई 2014

फौलाद


26 July 2014
06:58
-इंदु बाला सिंह

निष्पक्ष रह के
हारी मैं
पर
अकेली बन के
विचारक
व 
फौलाद बनी
अब
लोगों को इन्तजार है
मौसम का
मेरे मिट्टी में समाने का .........
पर
लोग ये भूल जाते हैं
कि
आवाजें
हवा में
गूंजती रहती हैं .......
और
वे
हर बहरे के
कान में फुसफुसाती रहती हैं |

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