मंगलवार, 15 जुलाई 2014

कंधे पे अतीत


16 July 2014
07:10
-इंदु बाला सिंह

कभी कभी
अतीत का शव कंधे पे लाद
चलना भाने लगता  है
पर
चाल धीमी हो जाती है
और
मोहग्रस्त हो
हम
बस
यूं ही चलते जाते हैं
क्षितिज के  इन्द्रधनुष को
छू लेना चाहते हैं
बच्चों सा किलक जाना चाहते हैं ........
हमारा हौसला देख
शिव भी
मुस्काता होगा
उसे
अपनी सती याद आती होगी |

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