रविवार, 13 जुलाई 2014

गांव जीवित है


12 July 2014
06:48
-इंदु बाला सिंह

चुनौती है
ब्याह करना एक शहरी लड़की से
फिर
उसे
गांव छोड़ कर
माँ को खुश रखना
और
अपनी पत्नी को खुश रखना .......
चुनौती उठाता है
मर्द
तभी तो
मर्द कहलाता है
मर्द
और
अपना घर बसाता है ........
मुस्काता हुआ वह
एक दिन
अपनी पत्नी लाता है शहर
आखिर 
अपनी तीन वर्षीय सन्तान को
अच्छे स्कूल में पढ़ाना है न .......
गांव को सांसें देना
आज भी
नहीं भूला है मर्द ........
शहर में रह कर भी
रिश्तों में जीते हैं
आज भी
कुछ मर्द |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें