27 July
2014
04:59
-इंदु बाला
सिंह
रंग बदलती
महिलाएं देखा
ठगनेवाले
पुरुष देखे
दिन
को रात कहनेवाले देखे
निरीह बालक
देखे
अबोध छोटे
बच्चे देखे
समझदार लोग
देखे
आक्रोश देखा
ये कैसी
दुनिया रच डाली तूने
और
अब
तू नभ में
समाधि लगाये बैठा
उठ
जरा तू तांडव
कर ले
एक बार
तू जरा
धरा पे जन्म
ले
देख जरा
धन से
बौराये जन को
कट मरते तन को
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