09 July
2014
10:58
-इंदु बाला
सिंह
राहगीरों के
लिए
शोक कैसा
मिले थे
बिछड़ने के
लिए
हम भी बिछड़े
थे होंगे
कभी
किसी
के यादों से ..........
पथ में
मिलनेवाला
सम्मोहन
पथिक
ही समझे ........
पैरों का सुख
स्वाभिमानी ही
महसूसे |
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