25 July
2014
11:11
-इंदु बाला
सिंह
असहाय हूँ
अकेली हूं
पितृहीन हूं
गृहहीन हूं
अपने ही
मकान की
मुफ्त की
चौकीदार हूं
क्यों कि
लडकियों को
कोई मकान
नहीं देता
रिश्तेदार
किरायेदार
कितनी बोलें
बोलने के हकदार हैं
क्योंकि
मैं
लड़की हूं
कमाती नहीं
हूं
मुझे नौकरी
नहीं मिलती
मेरे पिता ने
मुझे जन्माया
कन्यादान कर
के
पूण्य कमाने
के लिए
और
पूण्य
कमाकर
मुझे
सबकी दया की
पात्री बनाकर
चौकीदार बनाकर
स्वर्ग में
अपने आरक्षित स्थान में बस गये .....
.............................
इस
अभूतपूर्व जग
का अनुभव कराने का
पितृ श्री
मैं हूं
आपकी आभारी |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें