24 July
2014
07:03
-इंदु बाला
सिंह
अनागत को
ढूंढते जाते हैं हम
खुशी की तलाश
में
चलते जाते
हैं हम
मुट्ठी का पल
खोते जाते हैं हम
ये
न जाने कैसी
प्यास है उपलब्द्धियों की
कि
इस घुड़दौड़ में
हमारे
हाथ की उपलब्द्धि छूट जाती है हमसे
और
हम पूरी रोटी
पाने के लिए
भौंकते रह
जाते हैं |
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