20 July
2014
06:39
-इंदु बाला
सिंह
वे
न थे हमारे
तभी तो
वे
न लौटे .......
हम तो
बस
उनका इंतजार
करते रहे
ख्वाबों में
घरौंदे
बसाते रहे
गाते रहे
........
काश वे कह कर
जाते ........
भूल चले थे हम
जिन्दगी के
सह्संयोजन के
फलसफे
आकाश में
उड़ने वाले
बावले
होते हैं |
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