शनिवार, 26 जुलाई 2014

सह्संयोजन है जीवन


20 July 2014
06:39
-इंदु बाला सिंह

वे
न थे हमारे
तभी तो
वे न लौटे .......
हम तो
बस
उनका इंतजार करते रहे
ख्वाबों में
घरौंदे बसाते रहे
गाते रहे ........
काश वे कह कर जाते ........
भूल चले थे हम
जिन्दगी के
सह्संयोजन के
फलसफे
आकाश में उड़ने वाले
बावले होते हैं |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें