रविवार, 13 जुलाई 2014

ओफ्फोह कबरी


11 July 2014
07:50
-इंदु बाला सिंह

आज
सुबह सुबह मौजूद थे
बिल्ली और बिलौटा आंगन में
और
सील को बना कर प्लेट
रक्खा था
मरे चूहे को ......
मैं चीखी ..........
ओहो !
कबरी !
अभी बताती हूं .......
डंडा ले दौड़ायी
गोल दौड़ कर मुझे देखने लगी ........
म्याऊँ म्याऊँ .........
करने लगी
उस डंडे से चूहा धकेल जमीन पर
उल्टी सील .......
ओह !
कबरी !
अभी इतवार को तो तुमने
न जाने कहाँ से कबूतर पकड़ा था
पार्टी मनाया था
अपने बिलौटे संग
सीढ़ी घर में
छुप के .............
ओफ्फोह कबरी !
आज
तुमने
मेरी सील को बनाया अपना प्लेट |

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