11 July
2014
07:50
-इंदु बाला
सिंह
आज
सुबह सुबह
मौजूद थे
बिल्ली और
बिलौटा आंगन में
और
सील को बना
कर प्लेट
रक्खा था
मरे
चूहे को ......
मैं चीखी
..........
ओहो !
कबरी !
अभी बताती हूं
.......
डंडा ले
दौड़ायी
गोल दौड़ कर
मुझे देखने लगी ........
म्याऊँ म्याऊँ
.........
करने लगी
उस डंडे से
चूहा धकेल जमीन पर
उल्टी सील
.......
ओह !
कबरी !
अभी इतवार को
तो तुमने
न जाने कहाँ
से कबूतर पकड़ा था
पार्टी मनाया
था
अपने बिलौटे
संग
सीढ़ी घर में
छुप के
.............
ओफ्फोह कबरी !
आज
तुमने
मेरी सील को
बनाया अपना प्लेट |
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