रविवार, 30 मार्च 2014

बूढ़ी मालकिन


जायदाद की मालकिन
है तो क्या हुआ
बैंक और कोर्ट तो नहीं जा सकती है न वो
पति के मित्र तो
पति के जाते ही दूर चले गये  
अकेली बूढ़ी महिला से कौन दोस्ती करे |
नौकर चाकर
और 
फोन पर कंट्रोल रहता था
पुत्र का
मुहल्ले और अपनों की खबर से
कहीं दुखी न हो जाय माँ |
मुहल्ले की खबर से अनजान
माँ
सदा अतीत में जीती थी
वह सपने में
अपनों को खाना परोसती थी
अपनी बिटिया के संग
खेलती थी वह |
धीरे धीरे
माँ के संग
जायदाद भी कब्जे में आ गयी थी
बस
अब कोई समस्या न थी
विदेशी पुत्रों के लिए |


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