शनिवार, 29 मार्च 2014

विदा ....अलविदा



हवा में सुनेंगे 
हम 
अब तेरी आवाज को 
महसूसेंगे 
अपने पीछे 
तेरे अहसास को 
पर 
तुझे न पा 
आँखों के सामने
किसी काम में मन लगा लेंगे हम |
तेरे घर में
तेरे कमरे से
आधी रात को आती
तेरी आवाज सुन
चौंकेंगे हम
जरूर
पर
फिर हमें याद आएगा
ये कैसे हो सकता है
इन्हीं हाथों से ही तो
पिंडदान किया था
हमने तेरा
और
विदा किया था तुझे
इस जग से
तेरी पुकार
मात्र
हमारा वहम ही है |

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