मेरे मित्र
ने
एक दिन
मुझसे कहा
पुत्रों की
माता पिता का
ख्याल न रख पाने की
मजबूरी
न दीखे आपको कभी ........
बहुत दिन बीते
पर
न याद आया
एक भी ऐसा
पुत्र
जो मोह ग्रस्त
न हो
निज पत्नी के
प्यार में
या
न व्यस्त हो
पत्नी पर
शासन करने में
...............
माँ
अकेली हो
या
पति के साथ
हों
आखिर हैं
तो
वे भूत काल ही
............
धन
चल हो
या
अचल
सब तो
मिलता ही है
पुत्र को ही
............
फिर
खुश हैं
आज पुत्र
अकेली सन्तान
रहते हैं
निज माता पिता
के ............
और
दैनिक
पारिवारिक
झगड़े से मुक्त
रहते हैं वे ........
अब
मैं
किसे दोष
दूं
जिसके कारण न
दिखा
मुझे कोई
श्रवण सा
पुत्र
सोंच
में पड़ी हूं |
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