मंगलवार, 18 मार्च 2014

फेसबुक अकाउंट



एक दिन
भोर भोर
उठ गयी
दिन चढ़े तक सोनेवाली
बिटिया मेरी .........
उसे प्रसन्न देख
कहा मैंने ..............
सुन मेरी बिटिया रानी
तू है बड़ी सयानी
खींच दे
मेरा एक चित्र
फेसबुक में खोलूंगी
मैं भी
अपना एक अकाउंट .........
सदा डांटनेवाली माँ से
अपनी प्रशंसा सुन
बिटिया मेरी फूली न समाई
और मेरे हाथ से कैमरा ले
चटपट उतारी उसने मेरी एक तस्वीर ........
कम्प्यूटर के स्क्रीन पर जब मैंने देखी अपनी अद्भुत तस्वीर
तब जोर से चिल्लाई मैं ..................
ये कैसी तस्वीर है तूने उतारी
इसे देख कोई न बनेगा मेरा मित्र ...........
ओफ्फोह ममा !
तुम जैसी हो वैसी ही न दिखोगी
अब बुढ़ापे में मित्रता करोगी
राम राम भजो
घर में खा पी कर मस्त रहो ...........
और
बिटिया मेरी चली गयी
स्कूटी से लॉन्ग ड्राइव .................
घर बैठी मैं सोंचूं
हे भगवन !
तूने मुझे बिटिया दी
या
मेरी अम्मा दी |






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