सडकों पर दिख
रही हैं
सुबह शाम
महिलाएं
गुलाम नहीं
हैं
आजाद हो गयी
हैं
कमा
रही हैं .............
भाई बहन को
पीछे बैठा कर
छोड़ आता है
बड़े आदमी के
घर
ट्यूशन पढ़ा
रही है न
अपने पढाई का
खर्च
निकाल ले रही है वह ...............
पति सुबह सुबह
आफिस पहुंचा
देता है पत्नी को अपनी
घर का भाड़ा
निकाल रही है वह
वर्ना गांव
में रहे न पत्नी
बच्चे गांव
में नहीं पढ़ते क्या .......
महिला जायेगी
कैसे आफिस
स्कूटी नहीं
है न
स्कूटी है तो
घर के पुरुष
को जरूरी है
कमाती हैं
महिलाएं
तो क्या
उसे सुरक्षा
तो
उसके घर के
मर्द देते है न ............
शाम को
भचक भचक कर
टहलती महिलाएं
दिखती हैं महिलाएं
कौन कहता है
कन्या
भ्रूणहत्या होती है
घर में
अस्पताल में
भी तो
महिला डाक्टर
ही है न .................
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें