शनिवार, 22 मार्च 2014

रचना में कन्या



कितना  पसीजता
दिल तुम्हारा
किसी के माँ बहन की स्थिति देख
निज रचना में ..........
जय हो !
तेरी करुणा की
नैतिकता की .......
जरा
अपने जीवन में भी उतारते तुम
वह आदर्श
तो
कन्या
गोरैया न कहलाती
महिला आन्दोलन , आरक्षण की
राजनीति न रहती |

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