कितना पसीजता
दिल तुम्हारा
किसी के माँ
बहन की स्थिति देख
निज
रचना में ..........
जय हो !
तेरी करुणा की
नैतिकता की
.......
जरा
अपने जीवन में
भी उतारते तुम
वह आदर्श
तो
कन्या
गोरैया न
कहलाती
महिला आन्दोलन
, आरक्षण की
राजनीति न
रहती |
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