मंगलवार, 18 मार्च 2014

इन्कलाब आएगा

एक इन्कलाब आएगा
एक सैलाब आएगा
रोके न रुकेगा
हो के रहेगा
परिवर्तन
रात
न रहेगी ये सदा
हम हों न हों
और
तुम हो न हो
पर
हमारी कहानियाँ
रहेंगी सदा |

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