सोमवार, 24 मार्च 2014

चौरस्ते का टोटका


चौरस्ते पर
भोर भोर
जरीदार ओढ़नी ओढ़
खड़ी थी
वह
एक पुरुष व युवती संग ........
सड़क पर दिखे कभी कभार
ऐसे अद्भुत दृश्य ......
उस महिला ने
शून्य को
कर नमस्कार
रख दिया भूमि पर
रस्सी में बंधे
पांच छ: न जाने क्या टुकड़े
और भी न जाने क्या क्या ....
फिर
जल चढ़ा दिया
शायद
उसने अपने परिवार का 
दुर्भाग्य विदा कर दिया .......
काश
सभी सधवाएं इसी तरह
देश का भ्रष्टचार विदा कर देतीं
तो
आज कोई अभागा न रहता |

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