पैसों से
सेविका मिले
तो
पत्नी क्यों
हाथ घसे
जय हो
स्वारथ !
तेरी महिमा
अपार
कितनों को
तूने काम दिया
भोजन दिया
भले आधा पेट
ही
सेविका को
जीवित तो
रक्खा
गर गरीबी मिट
गयी
तो
काम कौन
करेगा
इतनी
समझ तो
बच्चे में भी
है
भई
! .......
तो
आज निकला है
धन कमाने
एक अभावग्रस्त
अपनी किस्मत
आजमाने
गरीब का बेटा
पंजा लड़ाने
तुझसे |
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