रविवार, 9 मार्च 2014

समझदार सास और समझदार पुत्री

समझदार काली कलूटी सास
गोरी चिट्टी गोल मटोल भारी भरकम
पुत्र की भगा कर लायी
पत्नी की
प्यारी सी बिटिया घुमा रही थी
प्रतिदिन
सुबह सुबह .................
अपने पति का घर
जो उसके साथ न जा सका था
दुसरी दुनिया में
चमका रही थी
घर को यथास्थिति बनाये रखने की
जिम्मेवारी भी निभा रही थी
सास .....................
सास के
पुत्र की पत्नी
गरीब पिता की पुत्री भी समझदार थी
बड़े आदमी के पुत्र के साथ भाग कर
अपना घर बसा लिया था
अपने मजबूर पिता का साथ छोड़ दिया था
गरीब पिता
प्यारी पुत्री के इस धोखा से
टूट गया था
अपने बाकी बसे बसाये घर से भी निर्मोही हो
इस  जग से गुजर गया था .........
स्त्री लिंग
का यह सामाजिक करवट
स्त्री समाज को
निज माता पिता , जाति , धर्म ,भाषा , देश के प्रति
कृतघ्न बना रहा था .................
मात्र मादा में तब्दील कर रहा था .............
इस परिवर्तन की नींव
ढूंढने
का समय नहीं
हमारे पास
हम धन अर्जन
सुख सुविधा भोगने में व्यस्त हैं |

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