समझदार काली
कलूटी सास
गोरी
चिट्टी गोल मटोल भारी भरकम
पुत्र की भगा
कर लायी
पत्नी की
प्यारी सी
बिटिया घुमा रही थी
प्रतिदिन
सुबह सुबह
.................
अपने पति का
घर
जो उसके साथ न
जा सका था
दुसरी दुनिया
में
चमका रही थी
घर को
यथास्थिति बनाये रखने की
जिम्मेवारी भी
निभा रही थी
सास
.....................
सास के
पुत्र की
पत्नी
गरीब पिता की
पुत्री भी समझदार थी
बड़े आदमी के
पुत्र के साथ भाग कर
अपना घर बसा
लिया था
अपने मजबूर
पिता का साथ छोड़ दिया था
गरीब पिता
प्यारी पुत्री
के इस धोखा से
टूट गया था
अपने बाकी बसे
बसाये घर से भी निर्मोही हो
इस जग से गुजर गया था .........
स्त्री लिंग
का यह सामाजिक
करवट
स्त्री समाज
को
निज माता पिता
, जाति , धर्म ,भाषा , देश के प्रति
कृतघ्न बना
रहा था .................
मात्र मादा
में तब्दील कर रहा था .............
इस परिवर्तन
की नींव
ढूंढने
का समय नहीं
हमारे पास
हम धन अर्जन
सुख सुविधा
भोगने में व्यस्त हैं |
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