गुरुवार, 13 मार्च 2014

कोयल मैडम

झरोखे से
आकाश में अंधकार से
फूट कर निकलती रोशनी देख
चेतता मन
कोयल की कूक से हो उठा विह्वल
मुन्ने का मन ........
ओहो !
कोयल मैडम !
सुबह सुबह ही आप बोलने लगीं .......
उठ पढ़ ...उठ पढ़ .......
घर में तो मम्मी सोयी है
अब तक
मैं तो जग ही गया खुद ........
फिर
कोरे मन से
खोल लिया मुन्ना
अपनी केमिस्ट्री किताब का ऑक्सीजनवाला पन्ना ........
थैंक्स कोयल मैडम !
गुड मॉर्निंग !
स्कूल में मैडम ने भी कहा था
भोर में पढ़ा पाठ
हो जाय याद |




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