मंगलवार, 18 मार्च 2014

पिता और बच्ची

डेढ़ वर्षीय बच्ची का
पिता के आफिस जाते वक्त
माँ की गोद में रोना
तो
समझ आता था
पर
आफिस से
पिता के लौटने पर
बरामदे में खड़ी बच्ची
पिता को देखते ही
जब डहुरने लगती थी
तब मैं
बड़े असमंजस में पड़ जाती थी
और
मुझे
उस ससुराल की बेटी से
अपने पिता से मिलना
और
बिछड़ना
याद आ जाता था ........
न जाने क्यों
और
वह
नन्ही बच्ची
आफिस से लौटे पिता को देख
खुश न होती थी ...............
भला क्यों
वह
माँ के पास रह कर भी
पिता के लिए
कलपती थी |



    


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