पिता
तारा बन गये
बिटिया बस
देखती रही
कैम्र्रे से
तस्वीरें खींचती रही
वीडियो बनाती
रही
पत्थर बन गयी
वह |
हर रोज
महसूसने लगी
वह
पिता के गुण
खुद में
और
पिता की
यादें
उसकी
सूखी आँखों से
भाप बन
उड़ जाती थीं
वह
क्रूर हृदया थी |
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