शुक्रवार, 28 मार्च 2014

बाज से डर लागे



बाबुल प्यारे
पंख काट
तूने
दिया मोहे उड़ाय
और
दिया बैठाय
जल जहाज में ........
आज
जहाज गया है डूब
उड़ उड़ बैठूं
इस वृक्ष से उस वृक्ष पर
पर
मोहे
कागा दे मार भगाय ........
बाबुल मेरे
कोसूं मैं तोहे
प्रतिदिन
आखिर क्यों काटे  तूने
मेरे पंख .......
सुदूर पहाड़ी उड़ न पाऊं मैं
गीत गा न पाऊं
फल न खा पाऊं मैं
बाज
का डर लागे मोहे |

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