मौका
लौट कर
आता है
हमारे द्वार
हम खोलते हैं
द्वार
पर
कभी उन्हें
बसाने की
घर में
आर्थिक शक्ति
न होती हममें
तो
कभी शारीरिक
शक्ति
और
हम
बस कूच कर जाते हैं
गुमान में
मुस्कुराते
हैं हुए
कि
हम
सौभाग्यशाली थे
आखिर
मौका हमारा
द्वार आया था न |
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