मौन बोलता
कभी कभी इतना
कि शोर गुल से घबरा कर
हम भागते जग से
ऐसा क्यों ?
ओ रे साथी !
जन्म मिला
मानव का
कर्म हेतु
पलायनवाद क्यों ?
ओ रे भक्त !
ईश्वर बच्चे
में बसता
कर्तव्य पथ
पे आगे बढ़
जब तक है
जीवन
मुस्काए
जा |
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