माँ
क्यों तो
इतनी सम्पूर्ण माँ
तू ही शिक्षक
तू ही दर्जी
तू
ही कार चालक
उफ !
तुझे ठगने का
मौका न मिलता मुझे
काश
तू थोड़ी बुद्धू होती
सब मित्रों
की तरह
मैं तुझे
उल्लू बनाता
मजे
करता |
मछली
रंग बिरंगी मछली
मचले
मछलीघर
के जल में !
उत्सुक आंखे
चमके
बालक
मन दमके !
लेना चाहे
उसे
हथेली
पे |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें