रविवार, 30 सितंबर 2012

छोटी कवितायें - 8

       
     माँ  
   

क्यों तो इतनी सम्पूर्ण माँ
तू ही शिक्षक
तू ही दर्जी
तू ही कार चालक
उफ !
तुझे ठगने का
मौका मिलता मुझे
काश तू थोड़ी बुद्धू होती
सब मित्रों की तरह
मैं तुझे उल्लू बनाता
मजे करता |


    मछली 

रंग बिरंगी मछली
मचले
मछलीघर के जल में !
उत्सुक आंखे
चमके
बालक मन दमके !
लेना चाहे
उसे
हथेली पे |

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