गुरुवार, 6 सितंबर 2012

हाइकू - 29


मेरा चरित्र 
है सदा मेरा मित्र
चले संग में |

अखंड ज्योति
विश्वास की टूटे
! पिता मेरे |


सम्हल पिता !
सीखे जीने के गुर 
पुत्र तुझसे |


मुझे न भाए
तेरी मौन सूरत
उगल आग |

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