कली की टूटन
मात्र एक पंक्ति गीत की
मैके
आई
एक नवविवाहिता
बारम्बार गाती है
'
आमि त परदेशी गो '
सुन चटक जाता है
शीशा मन का
कौंधता है प्रश्न
दिमाग में
बेटा स्वदेशी और बेटी परदेशी !
ऐसा क्यों ?
लड़की
ओ री !
होश सम्हालते
ही
कैसे माना
तूने
निज को
परदेशी ?
तू भी उतनी
स्वदेशी
जितना तेरा
सहोदर
जब चाहे जहां
घोंसला बना
उड़ ले अपनी
उड़ान
भर ले ताकत पख
में तू
न मनमार
मारेगा
बहेलिया तो भी
खुश रह तू
मरेगी
स्वदेश
में |
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