शनिवार, 22 सितंबर 2012

घुट्टी


घुट्टी में देते
हम झूठ संतान को
अनचाहा मेहमान आये तो
हम कहते
बेटा कह दो
पापा घर पे नहीं हैं
रिश्तेदार छुट्टी में आनेवाले हों तो
हम कहते
असल में हमारे टिकट की बुकिंग है
दार्जिलिंग की
बच्चे खुश हो जायं सुनके तो
हम कहते
चुप ! हमने तो बस ऐसे ही कह दिया
और भी ऐसी ही कितनी बातें सुनता
भौचक बल मन
धीरे धीरे वह भी सीखता
काम निकलने के गुण
अत: चौकन्ने रहें घर में
औलाद हो तो |

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