घुट्टी में देते
हम झूठ संतान को
अनचाहा मेहमान आये तो
हम कहते
बेटा कह दो
पापा घर पे नहीं हैं
रिश्तेदार
छुट्टी में आनेवाले हों तो
हम कहते
असल में
हमारे टिकट की बुकिंग है
दार्जिलिंग
की
बच्चे
खुश हो जायं सुनके तो
हम कहते
चुप ! हमने तो बस ऐसे ही कह दिया
और भी ऐसी ही कितनी बातें
सुनता
भौचक बल मन
धीरे धीरे वह भी सीखता
काम निकलने के गुण
अत:
चौकन्ने रहें घर में
औलाद हो तो |
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