शनिवार, 22 सितंबर 2012

हाइकू - 35


छूने को नभ
विपत्ति ने दी तुझे
उर्जा उड़ने की |

आहुति देना
जले दुर्गुण नित
कर्म अग्नि में |

चलते जा तू
रुकना तो मौत है
सुन रे प्राणी |

कर न विदा 
फिर सुबह होगी
हम मिलेंगे |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें