सोमवार, 24 सितंबर 2012

छोटी कविताएँ - 5

     1

औरत
एक मजदूरनी है
काम के बदले रोटी मिलती है
इज्जत भी
हैरत में हूँ
उसका मकान कौन सा है
पिता का ,पति का ,पुत्र का या मंदिर
किसी ने उसके लिये मकान की जरुरत ही समझी
उसने भी नहीं
वो तो कहीं भी रह लेती है
अपना हाथ जगन्नाथ
बस |               

      2


लड़का काफी कमाता है
अपना घर है
अपनी पत्नी को छोड़ दिया
तो क्या हुआ
मेरी बेटी
सम्हाल लेगी
सब कुछ
और
उस लायक लड़की ने
मार खा खा कर
बसाया किसी का घर |

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