शुक्रवार, 28 सितंबर 2012

हाइकू - 41


ली चिर निद्रा 
मौलश्री ने ओढ़ाई
चादर सुघड़ |

भाग्यहीन था !
ऐसा समझना
कर्मठ था वो |

सरल था वो
चतुर था तो क्या !
इंसान तो था |


दे रही तुझे 
श्रद्धांजलि अपनी !
दुखी मन से |

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