फटे दिलों की
बखिया न उधेड़
तड़पे तन
सिल प्रेम धागे से
ओ मीत मेरे
सुन !
चलते रह !
कहते रहना तू
निज कहानी
कट जायेंगे यूँ ही
लम्बे बोझिल रस्ते
प्रिया तू
आयी
बसाया मेरा
घर
जग छोड़ी तू
कैसे कटे अब
ये
मेरी जीवन- संध्या |
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