गुरुवार, 27 सितंबर 2012

तांका - 9



फटे दिलों की
बखिया उधेड़
तड़पे तन 
सिल प्रेम धागे से
ओ मीत मेरे सुन !



चलते रह !
कहते रहना तू
निज कहानी
कट जायेंगे यूँ ही
लम्बे बोझिल रस्ते



प्रिया तू आयी
बसाया मेरा घर
जग छोड़ी तू
कैसे कटे अब ये
मेरी जीवन- संध्या |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें