गुरुवार, 27 सितंबर 2012

हाइकू - 39


शिला बनी ये !
न मार इसे पिता
निशां न मिटा |

बेटी ये तेरी 
दूसरे की न थाती
पुत्र सी ही है |

पुण्य हेतु तू
बेटी को दान किया
क्या वो वस्तु थी ?

बेटी की आत्मा !
चाहे आजाद होना
जीना बेटे सा |

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