मंगलवार, 11 सितंबर 2012

तांका - 8


गारी है सोहे
झिड़क तो जरा तू
नार नवेली
चढ़ेगी आज भंग
बिन पिए देख ले |

दोनों है प्रिय
हमें बेटा व बेटी
औलाद मिले
हम तो मजदूर
कल क्या जानें भाई !

तू चली गयी
रोया इतना नभ
चैला न मिला
शव कैसे जलाऊं
बैठा हूँ छत तले |

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