गारी है सोहे
झिड़क
तो जरा तू
नार नवेली
चढ़ेगी आज भंग
बिन पिए देख ले |
दोनों है
प्रिय
हमें बेटा व
बेटी
औलाद मिले
हम तो मजदूर
कल क्या
जानें भाई !
तू चली गयी
रोया इतना नभ
चैला न मिला
शव कैसे जलाऊं
बैठा
हूँ छत तले |
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